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Bagh-e-Bahisht Se Mujhe Hukam-e-Safar Diya Tha Kyun Kaar-e-Jahan Daraz Hai, Ab Mera Intezar Kar                      - Mohammad...

Tuesday, February 14, 2023

Electron


वो जो इलेक्ट्रॉन फंसा रह गया था... 

सीने में, 

जल के

बस वही तो,

धरती को 

लौटा रहा है वो ।


 ....घर जा रहा है वो ।

Ps - Finally! I had always wanted to capture live lightening ! Himalayas ! :)😊☃️🌜⚡🌧️

Sunday, January 30, 2022

Tamasha |part1|

 


A recent post by Imtiyaz Ali on his account @imtiazali_the_storyteller inspired me to watch the movie Tamasha once again today. And it gave me goosebumps, once again. It also happens to be one of my favourite movies. I wanted to write a layer by layer review always. Here is the first part.

| PART 1 |

Whenever I had watched it, I could so relate to the childhood Ved portrayed in the movie. As a child I was so much like him, participating in school events and having my own imaginations of History and Hindi and English lessons going on in my head like a reel. I love the way the director amalgamated those imaginations in child Ved. For instance, how the choir singing 'Joy to the world' (one of my favourite Christmas carols) transforms into the scene of Samyukta's swayamwara inside the child's head.

And then in his next encounter with the old bearded storyteller, the child corrects the latter's 'Sanjukta' with 'Samyukta' as he had heard it by his history teacher. 

Storyteller - "हाथ में वरमाला लिए यूंही चलते चलते संजुक्ता महल के बाहर आ जाती है"

Child Ved- (interrupts and corrects him) समयुक्ता !

The storyteller looks at the child disapprovingly and says -

Storyteller - "यमुना है या जमुना?

 जोसेफ़ है या युसुफ़?

 जीसस है या ईसा?

 मूसा है या मोसेस?

 बताओ...?"

And then the old storyteller goes on to say with his wisdom filled eyes to the stirred and wondering kid -

Storyteller - "ब्रह्मा है या अब्राहम? या इब्राहिम?

 हिंदु नदी है या इंदस ?

 हिंद है या इंडिया?"

The child interrupts, and exclaims with a smile... 

"संजुक्ता"

Just like so many other powerful moments of the movie, this one stayed with me. And I keep coming back to it whenever I am lost. 

It is not just about how the storyteller tells us his story, it is also about how we hear it and how it stays with us. All the folktales and all knowledge coming to us from our great great ancestors converges here.

"कहानी तो एक ही है।

हमेशा से।

तुम उसे मुझसे कैसे कहोगे, कैसे मुझे दिखाओगे,

ये सिर्फ 

तुम्हारा ही 

स्वत्व नहीं है


मैं उसे कैसे सुनूँगी, कैसे पढूंगी

कैसे उसे देखूंगी

स्वत्व

ये मेरा भी है।"

- ग़ज़ल

Friday, January 14, 2022

The difference

 बस इतना ही बचा रहे कि -

कोई शब कोई जुगनू किसी खेत की मेढ़ पर आकर

अपने जलने और बुझने के बीच,

प्रकाश और तम का भेद बता पाए ।

बस इतना भर बचा रहे ।


- ग़ज़ल

Thursday, December 23, 2021

तुम

दिसंबर की सफेद सुबह का एक ठंडा जमा हुआ पहर,

बरसता हुआ पाले-सा, रास्ते भर।


और उसपर,

अथाह रातों की परतों के पीछे दबा

अपनी ही गहराइयों से भिंचा

नन्हा सा,

किंतु अविराम

एक बोसा तुम।


Ps- 

बोसा (फ़ारसी) - चुम्बन, kiss

Sunday, July 25, 2021

These verses I write


 तुम पूछते हो

कविता कैसे लिख लेती हो?


कविता

एक चीख है

गले में अटके अल्फ़ाज़ों की चीख

अपना घर ढूंढते, खोये हुए बच्चे-से अल्फ़ाज़

जिसका सबसे प्यारा खिलौना,

तोड़ दिया हो किसी ने हँसकर।


कविता 

एक रक़्स है

कभी सूफ़ी-सा ज़िक्र

कभी खयालों में सैक्सोफोन पर किया

तुम्हारे साथ एक वॉल्ट्ज

मेरे तुम्हारे ख़ालिस खयालों का रक़्स

कागज़ पर।


कविता बग़ावत है

अकेलेपन से 

बात न करने की 

ज़िद ही से।


कविता इश्क़ है

जीने के फ़ैसले से,

ज़िन्दगी से।


कभी छूकर नहीं देखा तुमने

मेरे रेज़े रेज़े में थिरकती हुई

ज़िन्दगी से प्रेम करने की

आदत को।


वरना जान पाते

कैसे लिखती हूँ मैं


ख़ामोशी को ओढ़े

अपने हर दर्द को जोड़े


टीस को ढोये

प्रेम को संजोए


दायरों को तोड़ती हुई

तुम्हें मुझसे जोड़ती हुई


कविता।

Thursday, June 17, 2021

Who I am.


 कभी छू कर देखा नहीं तुमने उसका रेज़ा रेज़ा
वो समंदर
जो पहाड़ बन गया।

You could never touch 
what it was made up of really
- the tethys -
which became
- the himalaya -

#morninginspiration #myverses 

Thursday, May 27, 2021

Muffler.

 


तू इन सड़कों पे फिरता-सा, किन्ही रातों का कोहरा है
कुछ धुंधला है, कुछ कोरा है।

अभी मेरे कानों की बाली में,
तेरे हाथों की गरमाहट
बरस रही है 
फ़ैज़ के मिसरे- सी
किन-मिन किन-मिन।

अभी उलझे हुए मेरे बालों में,
तेरी गालों का इक गड्ढा
की जैसे रक़्स करता है।

अभी तेरे लम्स की आहट की गरमाहट से
ये ठंडा चाँद सिहरता है
चौदह दिन पुराना चाँद।

और
गहरे समंदरों की कोलाहल से निकले
तनहा एक जज़ीरे-सी
तेरी आवाज़ 

कभी जो मेरे लिए
कोई नज़्म पढ़ा यूँ करती है
ऐसी ठंडी सीली रातों में,

तो आफिस की देरी के कारण 
मेरी ठंडी हुई रात की कॉफ़ी
फिर से गर्म हो जाती है।

ग़ालिब के मक़ते-से 
तेरे लब
अभी भी
मेरे मफ़लर पे बैठें हैं।

मुस्कुरा रहें हैं
किन-मिन किन-मिन।


Thursday, April 1, 2021

The passing moment is all you have.

 

दोपहरी की आंधी के बाद जब शाम को सूर्य की किरण,
जा गिरती है
- खंडहर के ईंट के हृदय पर -
तो एहसास होता है कि,
कुछ भी नहीं रहता
- हमेशा के लिए -
न ईंटें।
न खंडहर।
और न ही आंधी।
 
Ps - Thankyou @ichakdanastore for this beautiful floral bomber jacket.

#myverses #mypoems #theabode #ruins #ephemeral #hameshakeliye #mountains #pines

Thursday, March 11, 2021

The truth half unseen.


तू आधा-सा क्यों है? तू आधे से थोड़ा ज़ियादा-सा क्यों है?

मैं लम्हे के मानिंद मुख़्तसर हूँ, अयाँ हूँ

गरचे-सा कभी तू लिहाज़ा-सा क्यों है?

( मानिंद - like, जैसा, की तरह;  मुख़्तसर - short, छोटा सा ; अयाँ - evident, स्पष्ट ; गरचे - if, even though, मगर, लेकिन;  लिहाज़ा - therefore, thats why, इसलिए)


तू शहरों की सड़कों पे शामों-शबों में

पिघलता हुआ कोई वादा-सा क्यों है?

(शब - night, रात)


हर्फ़ों से फ़र्दों पे सरहद बनाकर

बता तेरा दिल ये कुशादा-सा क्यों है?

(फ़र्दों - stamp papers ; कुशादा - open, uncovered, खुला)


इल्तिज़ा-ब-लब मैं बरसता आसमाँ सा

तू ख़ामोश-सा इक तकाज़ा-सा क्यों है?

(इल्तिज़ा-ब-लब - request on lips ; तक़ाज़ा - pressing demand)


नहीं अब यहाँ हूँ, कि मैं जा चुका हूँ

तू आकाश पर ईस्तादा- सा क्यों है?

(ईस्तादा - standing, खड़ा हुआ) 


तू क्यों धमनियों में धधकने लगा है?

छुअन-सा, लहु-सा, तू बादा-सा क्यों है?

(बादा - wine)


मैं उठकर गिरा हूँ, मैं गिरकर उठा हूँ

मेरी वुसअतों का इरादा-सा क्यों है?

(वुसअतों - expanse, फैलाव)


मेरी कैफ़ियत के तर्जुमें बहुत हैं

पर सभी में बसा हर्फ़-ए-सादा सा तू है।

(कैफ़ियत - narrative ; तर्जुमें - interpretations, translations, अनुवाद; हर्फ़-ए-सादा - simple word)

तू आधा-सा क्यों है? तू आधे से थोड़ा ज़ियादा-सा क्यों है?